पूर्णिया का इतिहास
☘️☘️☘️कहते हैं कौशिकी और अरण्य के युगल मिलन से पूर्णिया का स्वरूप गढ़ा गया। आर्य काल में यह छेत्र कौशिकी कच्छ के नाम से जाना जाता था।महर्षि विश्वामित्र की पावन-पवित्र कौशिकी जिसके तट पर वे तपस्या किया करते थे वही वर्तमान कोशी है।☘️☘️ ☘️☘️एल.एस. एस. ओमैली (आई.सी.एस. संपादित पूर्णिया गजेटियर ) का मत है कि…